Categories
Hindi Blog

“हिंगलिश”

मेरे जैसे हिंदी सिखने वालों को यह लगता होगा जैसे कि हिंदी एक नहीं बल्कि दो भाषाएं हो.

एक भाषा है जो किताबों में सिखाई और अख़बारों में लिखी जाती है, और दूसरी भाषा जो बोली जाती है.

उदाहरण के लिए, आम बोलचाल की भाषा में लोग अंग्रेज़ी शब्दों का बहुत इस्तेमाल करते हैं. कभी कभी लोग अंग्रेजी से मिली हुई हिंदी को “हिंगलिश” कहते हैं. लोग अंग्रेज़ी से ना मिली हुई हिन्दी को “शुद्ध” हिन्दी कहते हैं (“शुद्ध हिन्दी” ऐसी भी तरह की हिन्दी की ओर इशारा कर सकती है जिसकी शब्दावली ज़्यादातर संस्कृत से आए हुए शब्दों से बनी है).

जैसे, कोई शायद बोलेगा कि “मैने तुम्हारा फोन use किया था खाना order करने के लिए”.

कभी कभी लोग एक वाक्य में इतने अंग्रेज़ी शब्दों का इस्तेमाल करते हैं कि मुझे पता नहीं चलता कि वे हिन्दी या अंग्रेज़ी बोल रहे हैं.

बहुत सारे हिन्दी शब्द दूसरी भाषाओं से अपना लिए गए हैं, जैसे संस्कृत, फ़ारसी, और अरबिक.

अंग्रेज़ी से मिलने से पहेले भी हिन्दी की शब्दावली काफ़ी बड़ी थी.

मेरे खयाल से हमें हिंदी की शब्दावली की उपेक्षा नहीं करनी चाहिए. ऐसा नहीं है कि हिंदी की शब्दावली में कोई कमी हो.

मैं जानता हूं कि सब भाषाएं बदलती रहती हैं और दूसरी भाषाओं से शब्द लेती हैं. मैं उम्मीद नहीं करता कि हिन्दी बोलने वाले “computer” और “television” जैसे नए शब्दों के लिए अपने शब्द बनाएं. इस तरह के शब्दों को अपनाना बिलकुल ठीक है. लेकिन, उदहारण के लिए, उपयोग के बारे में बात करने के लिए कम से कम तीन विकल्प हैं: उपयोग, प्रयोग, और इस्तेमाल. लेकिन मैं अक्सर लोगों को “use” बोलते हुए सुनता हूं.

हालांकि इतने सारे शब्द उपलब्ध हैं, लोग फिर भी अधिकतर अंग्रेज़ी शब्दों का इस्तेमाल करते हैं.

एक बार अपनी बीवी से बात करते हुए मैने बोला कि “मुझे हिन्दी बोलने का और अभ्यास करना चाहिए”. उसने हंसकर समझाया कि हालांकि यह वाक्य बिल्कुल ठीक है, पर लोग सामान्य रूप से “practice” बोलते हैं.

यह बड़ी निराशा की बात है. पता नहीं क्यों. शायद इस लिए है कि मुझे लगता है कि अगर मैं अंग्रेज़ी शब्दों का इस्तेमाल करता हूं, तो मैं दूसरी भाषा नहीं बोल रहा हूं. या फिर शायद इस लिए है कि मैं हिन्दी की शब्दावली का इस्तेमाल करना चाहता हूं, लेकिन लगभग लगता है कि इन सब शब्दों का इस्तेमाल करना मना है. मैं जिस प्रकार अपने विचारों को व्यक्त करना चाहता हूं, मैं उसी प्रकार उन्हें व्यक्त करना चाहूँगा. शायद यह इस लिए है कि पश्चिमी संस्कृति के प्रभाव के कारण, हिंदी की शब्दावली उपेक्षा की जा रही है. या फिर इस लिए है कि अंग्रेजी शब्दों ने दुसरे शब्दों का स्थान लिया है.

मैं “descriptive grammar” में विश्वास करता हूँ यानि हमें यह समझने की कोशिश करनी चाहिए कि भाषा असलियत में कैसी है न कि भाषा कैसी होनी चाहिए. इसका मतलब यह नहीं है कि कुछ भी चलेगा. मुझे शायद इस तथ्य को स्वीकार करना चाहिए (या मुझे यह बोलना चाहिए कि मुझे इस fact को accept करना होगा).

कई तरीकों में यह बहुत अच्छी बात है.

अगर मुझे कोई शब्द नहीं आती तो मैं अंग्रेजी शब्द का इस्तेमाल कर सकता हूँ.

हिंदी बोलने वालों का दूसरी भाषाओँ के शब्दों को अपनाना यह दर्शाता है कि उनका रवैया व्यावहारिक है. भारतीय लोग आम तौर पर हिंदी सिखने वालों के प्रति बहुत दयालु हैं और उनको प्रोत्साहित करते हैं.

तो मैं क्या बोलूं? शायद हम एक समझौता कर सकते हैं: हम अंग्रेजी से मिली-जुली हिंदी का इस्तेमाल करते हैं पर हम हिंदी की बड़ी शब्दावली की उपेक्षा नहीं करते हैं.

English Translation

It must seem to Hindi learners like me as if Hindi is not one, but two languages.

There is one language that is taught in books and written in newspapers, and another language that is spoken.

For example, in colloquial language, people use a lot of English words. People call Hindi unmixed with English “pure Hindi” (“pure Hindi” can also refer to the kind of Hindi whose vocabulary consists primarily of words that have come from Sanskrit).

For instance, people might say “main tumhara phone use kiya tha khaana order karne ke liye”.

Sometimes, people use so many English words in one sentence that I don’t know whether they’re speaking Hindi or English!

Many Hindi words have been borrowed from other languages, such as Sanskrit, Persian, and Arabic.

Even before being mixed with English, Hindi had a rather large vocabulary.

In my opinion, we shouldn’t neglect the vocabulary of Hindi. It is not as if there is any deficiency in Hindi’s vocabulary.

I know that all languages keep changing and take words from other languages. I do not expect Hindi speakers to make words for new terms like “computer” or “television”. It’s certainly appropriate to adopt these kinds of words. To talk about usage, there are at least three options: उपयोग, प्रयोग, and इस्तेमाल. However, I often hear people saying “use”.

Although so many words are available, people nonetheless mostly use English words.

One time, while talking with my wife, I said “mujhe hindi bolne ka abhyaas karna chahiye”. She laughed and explained that, although this sentence is completely correct, people usually say “practice”.

This is very disappointing to me. I don’t know why. Perhaps it is because it seems to me that if I speak too many English words, then I am not speaking another language properly. Or maybe it is because I want to utilize Hindi’s excellent vocabulary, but it is almost as if using these words is forbidden. I want to express my thoughts however I choose to express my thoughts. Or perhaps it is because, due to the influence of western culture, Hindi’s vocabulary is being neglected. Or perhaps it is because English words have superseded words that come from other languages.

I believe in “descriptive grammar”, that is, that we should try to understand how language is in reality, not how it “ought” to be. But this doesn’t mean that anything goes! Perhaps I just have to accept this fact (or [same sentence, using English words])!

In many ways, this is a good thing.

If I don’t know some word, I can use an English word.

Hindi speaker’s adoption of words from other languages indicates that their attitude is practical. Indians generally are very kind to people learning Hindi and encourage them.

So what should I say? Maybe we can compromise: let’s use Hindi mixed with English, but let’s not neglect Hindi’s vocabulary.

2 replies on ““हिंगलिश””

भैया आप तो काफी अच्छा लेख लिखा है. हिंदी मेरी भी दूसरी भाषा है, और ये तो एक बहुत ही बड़ी निराशा की बात है जो आप ने चर्चा किया. दूसरी बात भी निराशाजनक जो है, वो ये है कि कोई व्यक्ति जो हिंदी सीखना चाहता है, वो शुरू में ये चीज़ नहीं जनता है कि हिंदी दो भाषा है, या शायद मैं कहूँ, एक “अलसी” भाषा नहीं है. पर जब वो “intermediate” बनता है और ठीक से बात करना शुरू करता है, तब उसको पता चलता है कि ऐसा होता है हिंदी में कि अंग्रेजी भी बोलनी पड़ती है, हिंदी ही नहीं.

मैं नहीं कह रहा हूँ कि अगर मुझे मालूम था कि ऐसा है, तो मैं हिंदी नहीं सीखता, मैं बस ये कह रहा हूँ कि अध्यापकों को और नेताओं को इस के बारे में सोचना चाहिए. नहीं तो हम हिंदी भाषा को “नमस्ते” और “goodbye” बोल सकते हैं.

और सच ये है कि “इस्तेमाल या प्रयोग” के शब्द के बजाय, “use” का प्रयोग करना चाहिए ही नहीं. मतलब इन दोनों शब्दओन में कोई फर्क पड़ता है. और बात और “thing” में भी… कोई फर्क है तो सही.

मेरे लिए ये तो इतनी निराशाजनक है क्यूंकि जब कोई एक दूसरी भाषा सीखना शुरू करता है, तो वो आशा करता और सोचता है कि वो खुद के लिए सोचने का एक नयी तरह या ढंग सीखेगा. पर जब हम इतनी अंग्रेजी बोल रहे हैं अपनी हिंदी में, तो लगता है कि शायद हम सच में एक नयी भाषा नहीं सीख रहे हैं, और एक नयी सोचने का ढंग भीनहीं सीख रहे हैं.

Leave a Reply